आदरणीय आडवाणी जी !
मैं पहली बार किसी राजनेता और उससे भी ख़ास , भाजपा नेता से इस तरह सरे-आम रूबरू हूँ। अभी कुछ दिन पहले मुझे एक जानकारी मिली कि हालिया दिनों में 'गूगल -सर्च' में आप अव्वल नंबर पर रहे तो लगा कि आख़िर माज़रा क्या है? दर-असल जिस दिन से वह मुआ 'कमज़ोर ', प्रधानमंत्री बन गया ,आपके तो दर्शन ही दुर्लभ हो गए। न तो किसी चैनल में और न ही पार्टी की प्रेस-कांफ्रेंस में आपके दीदार हो रहे थे,सो इसीलिए भाईलोगों को चिंता होने लगी कि आप कहीं अंतर्ध्यान तो नहीं हो गए !लोग 'गूगल' पे आपकी 'लोकेशन' पता कर रहे थे ,जीपीएस का सहारा ले रहे थे ,गोया आप कोई खोने वाली चीज़ हो!
बहर-हाल ,यह पत्र मैं आपको इसलिए लिख रहा हूँ कि आपने बहुत अच्छी लड़ाई लड़ी और यदि इसमें जीत नहीं मिली तो निराश होने की ज़रूरत नही है। इस बुढ़ापे में भी आप जिम जाते थे,रोज़ कई रैलियां करते थे ,वेब-साईट पर भी विराजमान थे पर यह जो हिंदुस्तान की पब्लिक है न यह कुछ भी तो नहीं सोचती। जैसा कि आपने बता ही रखा था कि आपका यह आख़िरी चुनाव है और इतिहास में प्रधानमंत्रियों की सूची में अपना नाम देखने की आपकी ज़ोरदार ललक है,पर उस इच्छा पर पलीता ही लग गया और सच बताएं यह आपके अलावा सबको पता था की ऐसा ही होने वाला है।
आपकी पार्टी में आपकी छवि एक 'हार्ड-कोर' नेता की रही है ,यह अलग बात है कि पिछले कुछ समय से लगातार आप बदलने की प्रक्रिया में थे पर यह नरेन्द्र मोदी और वरुण गाँधी जैसे लोग आपके दुश्मन निकले। इन लोगों ने आपके सत्ता में आने से पहले ही 'हुआ-हुआ' करके सारी योजना बर्बाद कर दी। आपको डुबोने में कारगिल,कंधार,जिन्ना और गोधरा ने अहम् भूमिका निभाई । थोड़ा सा धक्का 'बाल ठाकरे एंड संस ' ने भी दिया ,आप चाहे माने या न माने!
लोग अभी तक आपकी पार्टी का 'विधवा-विलाप' भी नहीं भूले थे जब सन् 2004 के चुनावों के बाद सोनिया गाँधी के प्रधानमंत्री पद को लेकर हो रहा था । उमा भारती और सुषमा स्वराज जब छाती कूट-कूट कर कह रही थी कि वे सिर मुंडवा लेगी या सन्यास ले लेगीं। पता नहीं, किसकी हाय किसको लगी पर देखो वे दोनों आज कहाँ हैं,सोनिया कहाँ हैं और आपका 'मिशन' कहाँ है?
इतने ख़राब परिणाम आने के बाद भी पार्टी आपको आराम देने के मूड में नहीं है। आपने तो इच्छा जताई थी कि आपको आराम दिया जाए पर लगता है पार्टी भी यह सोचे बैठी है कि इसके ताबूत में आखिरी कील आप ही ठोंके!
जहाँ आपकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी के पास राहुल का 'यूथ -विज़न ' है वहीं भाजपा थके और चुके हुए लोगों के साथ 2014 का मुकाबला करने जा रही है।
आप से इस पत्र के माध्यम से गुज़ारिश है कि हिन्दुस्तान की असली नब्ज़ को पहचाने ,कुछ कठोर निर्णय लें और पार्टी में सुधारवादी ,अहिंसक तथा सहिष्णुतावादी ताकतों को आगे आने दें । किसी भी पार्टी में अनुभव के साथ अभिनव(युवा) का मिश्रण अपरिहार्य है।
उम्मीद करता हूँ कि अब देश की जनता आपको 'गूगल' के ज़रिये सर्च नहीं करेगी,वरन आप स्वयं जनता तक पहुँचेंगे ।
बुधवार, 27 मई 2009
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