गुरुवार, 6 नवंबर 2008

ओबामा का अमेरिका

विश्व की महाशक्ति अमेरिका में नए सूरज का उदय हुआ है .बराक ओबामा के नए राष्ट्रपति चुने जाने को लेकर हालांकि सारी दुनिया उत्साहित है ,पर अविकसित और विकासशील देशों में अमेरिका से ज़्यादा उत्साह देखा जा रहा है .ओबामा का हर तबके की तरफ़ से स्वागत किया जा रहा है पर उनके बारे में बार -बार अश्वेत या काले कहना उनकी असली योग्यता को नकारना और काले लोगों में हीनभावना पैदा करना है.जहांतक दूसरे देशों से सम्बंधित नीति को लेकर बहुत आशावादी होने की बातें की जा रहीं हैं ,मैं समझता हूँ कि अमेरिका की बुनियादी नीतियों में अधिक परिवर्तन नहीं होने जा रहा है.तीसरी दुनिया और विकासशील देशों की अमेरिका से हर समय उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं की दरकार होती है पर अतीत में यह कभी नहीं हुआ की अमेरिका अपने हितों की कीमत पर दूसरों की मदद को आगे आए .चूंकि सोवियत संघ के विखंडन के बाद दुनिया एकध्रुवीय हो गयी है इसलिए चाहे अनचाहे सभी देशों की निगाहें अमेरिका के ऊपर ही लगी रहती हैं .इसीलिये शायद ओबामा को काले या अश्वेत कहकर मीडिया उन देशों का ओबामा से गहरा जुडाव दर्शाने की कोशिश कर रहा है लेकिन उनके लिए यह पहचान न्यायसंगत नही है .अब जब वह इतनी ज़द्दोज़हद के बाद अगले अमेरिकी हुक्काम चुन लिए गए तो उनके लिए शुभकामनायें और यह उम्मीद कि जो जोश उन्होंने अभीतक दिखाया है उसे आगे भी बरक़रार रखेंगे.